मनुष्य को सामंजस्य स्थापित करते हुए जीवन यापन करना चाहिए..ध्यान,,साधना,,प्राणायाम,,जप-तप,,प्रार्थना -पूजा,,सत्संग ऐसे सुविचार हैं,,जिनसे मनुष्य समर्थ एवं सामर्थ्यवान बनता है..गुरु द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मन्त्र रुप होता है..परमात्मा का नाम ही संजीवनी है मनुष्य के अन्दर विद्यमान उसके तामसिक गुण उसके विनाश का कारण बनते हैं..मनुष्य को पहले अपनी शक्ति फिर भगवान् की शक्ति को याद करना चाहिए..सुधान्शुजी महाराज |
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Tuesday, October 9, 2012
मनुष्य को सामंजस्य
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