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Friday, October 12, 2012

गृहस्थ के लिए महामंत्र

गृहस्थ के लिए महामंत्र 
योगी बनो ,पर रोगी नहीं ! स्वस्थ बनो ,पर मोटे नहें १
बवान बनो , पर दुष्ट नहीं ! खरे बनो,पर खारे नहीं !
धीर बनो ,पर सुस्त नहीं !सरल बनो पर मूर्ख नहीं !
सावधान बनो, पर वहमी नहें !उतसाही बनो ,पर जल्दबाज नहीं !
न्यायी बनो , पर निर्दयी नहीं !चंगे बनो ,पर दुर्बल नहीं !
दृढ बनो , पर हटी नहीं ! प्रेमी बनो , पर पागल नहीं !
समालोचक  बनो ,पर निंदक नहीं !namr    बनो ,पर चापलूस नहीं !
पुष्ट बनो, पर उद्दंड नहीं ! चतुर बनो ,पर कुटिल नहीं !

बड़ों की कठोर वाणी जो प्रेम से सहते हैं वह एक दिन सुखी होंते हैं !


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