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Sunday, November 27, 2011

गीता---सार -१

गीता---सार -१ 
१-क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो ? किससे डरते हो ? कौन तुम्हें मार सकता हे ? आत्मा न पैदा होती ,न मरती है !
२-जो हुआ ,वह अच्छा हुआ ,जो हो रहा है ,वह अच्छा ही हो रहा है , जो होगा , वह भी अच्छा ही होगा !तुम भूत क़ा पशचाताप न करो ! भविष्य की चिंता न करो ! वर्त्तमान चल रहा है !

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