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Thursday, July 15, 2010

योगदर्शन

चित्त एक सरोवर की तरह है, जिसमे तरंगे उठती रहती हैं। जिससे मनुष्य मूल तत्त्व का अवलोकन नहीं कर पाता। जब बताये गए साधनों के द्वारा चित्त रुपी सरोवर की तरंगे शांत हो जाती हैं तो उसमे प्रवाहित होने वाला जल निर्मल हो जाता है और आत्मा का परमात्मा से योग होता है।

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