परमात्मा से मिले बिना व्यक्ति को चैन और आनंद नहीं मिल सकता। इसलिए जीवन में भक्ति का नियम बनाओ नित्य निरंतर भक्ति में बैठो। भक्ति तब भीतर उतरेगी जब मन कपट रहित होगा।
Sunday, July 25, 2010
"प्रभु के भरोसे हांको गाडी, जब लुट जाएगी श्वासों की पूँजी, बहुत पछताओगे अनाड़ी"
चित्त एक सरोवर की तरह है, जिसमे तरंगे उठती रहती हैं। जिससे मनुष्य मूल तत्त्व का अवलोकन नहीं कर पाता। जब बताये गए साधनों के द्वारा चित्त रुपी सरोवर की तरंगे शांत हो जाती हैं तो उसमे प्रवाहित होने वाला जल निर्मल हो जाता है और आत्मा का परमात्मा से योग होता है।
सुविधाओ में तो सब मुस्कुराते हैं, लेकिन दुविधाओ में जो मुस्कुराता है वहि महान साधक है। साधन- सुविधाओ के होने से सुख और शांति प्राप्त नहीं होती, बल्कि जीवन को सुव्यवस्थित बनाने से सुख और आनंद की प्राप्ति होती है।