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Tuesday, December 21, 2010
चार चीजे याद रखो
चार चीजे याद रखो
१]फर्ज : अपना फर्ज घर के प्रति ,रिशतेदारो के प्रति ,समाज के प्रति ,देश के प्रातो निभाते चलो !
२]कर्ज : अपने सर पर कर्ज चढ़ने मत दो !
३]मर्ज: मर्ज को बढ़ने मत दो उसका फोरन इलाज करो !
४]अर्ज : भगवान के दरबार में रोज अर्ज करते रहो !
Sunday, December 19, 2010
दुर्भाग्य
DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION ): दुर्भाग्य: "जब दुर्भाग्य हों तो चमड़ी मोटी रखो ! सुनो सब की , मगर जबान पर नियंत्रण रखो और मजाक उड़ाने वालो को ज्यादा तवाजो मत दो ! सोचो यह समय भी ..."
Sunday, November 28, 2010
: गऊ माता की देह में हें देवों का निवास
DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION ): गऊ माता की देह में हें देवों का निवास: "गऊ माता की देह में हें देवों का निवास * गऊ के सीगों की जडों में बृह्मा तथा विष्णु जी का निवास हे ! * सींगों के अग्र भाग में भगवान शिव विराज..."
Friday, November 26, 2010
..GURUVANNI
GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ: Fw: [GURUVANNI Good Thoughts by Pujay SUDHANSHUJI ...: "----- Original Message ----- From: Madan Gopal Garga To: mggarga@gmail.com Sent: Sunday, November 14, 2010 1:12 PMSubject: [GURUVANNI Good ..."
Tuesday, November 23, 2010
अपनी महानता को स्वयं समझो
DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION ): अपनी महानता को स्वयं समझो: "तुम्हारी महिमा को कोई नहीं समझ सकता ,अपनी महानता को स्वयं समझो ! आसमान में पगडडियां नहीं होती ! अपना रास्ता स्वय ढूंढना पडता हे ! जूझने के ल..."
Monday, November 8, 2010
हरी ॐ
हरिओम
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आज का गुरु संदेश
"बड़े भाग्य मानुष तन पाया, वृथा न इसे गवाना।
माया ठगनी से बच करके, राम से नेह लगाना।"
mumbai satsang
ANANDDHAM.ORG established by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj: mumbai satsang: "Vardanlok Asharam Nirman Hetu, 9th to 12th Dec 10 ,Bhakti Satsang By H H Pram.Pujay Acharya Shree Sudhanshuji Maharaj ,Timing Morning ,9.00A..."
Monday, October 25, 2010
मात -पिता
आओ उन का करें सम्मान !
जो हैं ब्रह्मा -विष्णु समान !!
मात -पिता शिव-शक्ति स्वरूप !
जिन में मिलता भव्य स्वरूप !!
ईश्वर की भक्ति से बढकर ,
भक्ति बडी हे मात-पिता कीं !
थोडी सी सेवा से जिनकी,
होती नित उन्नति जीवन की !
धर्मदूत
जो हैं ब्रह्मा -विष्णु समान !!
मात -पिता शिव-शक्ति स्वरूप !
जिन में मिलता भव्य स्वरूप !!
ईश्वर की भक्ति से बढकर ,
भक्ति बडी हे मात-पिता कीं !
थोडी सी सेवा से जिनकी,
होती नित उन्नति जीवन की !
धर्मदूत
Wednesday, October 13, 2010
शान्ति एव सौहार्द की प्रतिमूर्ति हैं सदगुरु
DELHI (VISHWAJAGRITI MISSION ): शान्ति एव सौहार्द की प्रतिमूर्ति हैं सदगुरु: "शान्ति एव सौहार्द की प्रतिमूर्ति हैं सदगुरु समाचार चैनलोंका आज भारी बोलबाला है , ऐसा लगता है कि किसी की भी पगड़ी उछालने का उनके पास अधिकार ह..."
Tuesday, October 12, 2010
Guruji aagami programes
GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ: Fw: Guruji aagami programes: "Subject: Guruji aagami programes October 8-10 Jaipur Rajasthan October 20-24 Ganesh Laxmi Yagya A D Ashram Delhi 22 october 2010..."
Monday, October 11, 2010
: पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज का विनम्र निवेदन
GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ: पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज का विनम्र निवेदन: "पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज का विनम्र निवेदन मुझे जो आज तक न्यूज चैनल से कहना था उनके समक्ष कह दिया था ! इस चर्चा को अधिक विस्तार न दिया जाए..."
Friday, September 24, 2010
Wednesday, September 22, 2010
Thursday, September 16, 2010
Wednesday, September 15, 2010
: satsang in Mumbai
GURUVAR SUDHANSHUJI MAHARAJ: satsang in Mumbai:
"Good News Satsang of Guruji finalised in mumbai from
10th Dec to 12th Dec
Nischit
Mggarga"
"Good News Satsang of Guruji finalised in mumbai from
10th Dec to 12th Dec
Nischit
Mggarga"
Thursday, September 2, 2010
बेटी के सुखी जीवन के लिए
बेटी के सुखी जीवन के लिए
* ससुराल पक्ष के लोग और उसके पति को उनकी आदतें,
स्वभाव , रुचियाँ समझने और उनके साथ तालमैल मिलाने का अवसर है !
* हर बात में बेटी का पक्ष न लें ! उसे त्याग ,समर्पण ,सहयोग ,
एवं प्रत्येक के साथ मधुर व्यवहार की शिक्षा दें !
* ससुराल वाले बहू को बेटी मानें यह बहुत अच्छा हे लेकिन
बहू ससुराल में स्वंय को बेटी मानने की भूल कभी न करे !
*क्योकि बेटी अपने माता पिता के घर में माता-पिता और भाइ -बहन इत्यादि से अपेक्षा और अपने कार्य के प्रति उपेक्षा रखे तो चलता है लकिन ससुराल में यही अपेक्षा और उपेक्षा भारी कष्ट का कारण बनती है !
* अगर किसी से कोई कठोर बात कहने की आवश्यकता पडे यो उसे मधुर शब्दों में ही कहना चाहिए !
* पति के घर में सबकुछ पिता के घर जैसा कभी नही होता !
इसलिए बेटी को ससुराल में ससुराल की परिस्थितियां ,वहां क्र अभाव -प्रभाव ,लोकरीति,व्यवहार ,रीति तथा कुल परम्पराओं के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा दें !
*अगर कोई अच्छी बात अच्छी आदत को बेटी वहां के लोगों में
डालना चाहती हे तो बडी सावधानी ,धैर्य एवं धीरे धीरे और उसका स्वयं आचरण करके प्रारंभ करे अन्यथा वहां के लोगो का अहंइसे सहन नहीं कर पायेगा!
*पति को उसके माता पिता ,भाई बहन के प्रति दायित्वों से विमुख करने का प्रयास कभी न करें इससे मनों में कटुता आती है !
*स्त्री पर तीन कुलों के निर्माण का दायित्व होता है उसे इस गरिमा को कभी नहीं भूलना चाहिए !
*इस महान कार्य की पूर्ति वह प्रेम ,सहनशीलता सदव्यवहार ,सदाचरण एवं त्यागपूर्ण जीवन से ही कर सकती हैं !
धर्मदूत जुलाइ 2010 से !
* ससुराल पक्ष के लोग और उसके पति को उनकी आदतें,
स्वभाव , रुचियाँ समझने और उनके साथ तालमैल मिलाने का अवसर है !
* हर बात में बेटी का पक्ष न लें ! उसे त्याग ,समर्पण ,सहयोग ,
एवं प्रत्येक के साथ मधुर व्यवहार की शिक्षा दें !
* ससुराल वाले बहू को बेटी मानें यह बहुत अच्छा हे लेकिन
बहू ससुराल में स्वंय को बेटी मानने की भूल कभी न करे !
*क्योकि बेटी अपने माता पिता के घर में माता-पिता और भाइ -बहन इत्यादि से अपेक्षा और अपने कार्य के प्रति उपेक्षा रखे तो चलता है लकिन ससुराल में यही अपेक्षा और उपेक्षा भारी कष्ट का कारण बनती है !
* अगर किसी से कोई कठोर बात कहने की आवश्यकता पडे यो उसे मधुर शब्दों में ही कहना चाहिए !
* पति के घर में सबकुछ पिता के घर जैसा कभी नही होता !
इसलिए बेटी को ससुराल में ससुराल की परिस्थितियां ,वहां क्र अभाव -प्रभाव ,लोकरीति,व्यवहार ,रीति तथा कुल परम्पराओं के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा दें !
*अगर कोई अच्छी बात अच्छी आदत को बेटी वहां के लोगों में
डालना चाहती हे तो बडी सावधानी ,धैर्य एवं धीरे धीरे और उसका स्वयं आचरण करके प्रारंभ करे अन्यथा वहां के लोगो का अहंइसे सहन नहीं कर पायेगा!
*पति को उसके माता पिता ,भाई बहन के प्रति दायित्वों से विमुख करने का प्रयास कभी न करें इससे मनों में कटुता आती है !
*स्त्री पर तीन कुलों के निर्माण का दायित्व होता है उसे इस गरिमा को कभी नहीं भूलना चाहिए !
*इस महान कार्य की पूर्ति वह प्रेम ,सहनशीलता सदव्यवहार ,सदाचरण एवं त्यागपूर्ण जीवन से ही कर सकती हैं !
धर्मदूत जुलाइ 2010 से !
Saturday, August 7, 2010
क्रोध को जीवन मे स्थान न दे
Thursday, August 5, 2010
हरी ॐ
Wednesday, August 4, 2010
माता पिता
Tuesday, August 3, 2010
रथ के दो पहियों की तरह
Monday, August 2, 2010
Saturday, July 31, 2010
हरी ॐ
Thursday, July 29, 2010
जय गुरुदेव
Tuesday, July 27, 2010
जय गुरुदेव
परमात्मा से मिले बिना व्यक्ति को चैन और आनंद नहीं मिल सकता। इसलिए जीवन में भक्ति का नियम बनाओ नित्य निरंतर भक्ति में बैठो। भक्ति तब भीतर उतरेगी जब मन कपट रहित होगा।
Thursday, July 15, 2010
योगदर्शन
चित्त एक सरोवर की तरह है, जिसमे तरंगे उठती रहती हैं। जिससे मनुष्य मूल तत्त्व का अवलोकन नहीं कर पाता। जब बताये गए साधनों के द्वारा चित्त रुपी सरोवर की तरंगे शांत हो जाती हैं तो उसमे प्रवाहित होने वाला जल निर्मल हो जाता है और आत्मा का परमात्मा से योग होता है।
Tuesday, July 13, 2010
सुख और आनंद
Sunday, April 4, 2010
Saturday, April 3, 2010
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